राष्ट्रीयगरिमा अभियान के तहत ग्रामीण स्वावलंबन समिति की ओर से अस्तौन गांव में महिलाओं को नशा मुक्ति का संदेश दिया गया। गीत संगीत के माध्यम से गांव की महिलाओं को नशा से होने वाले दुष्प्रभावों की जानकारी दी गई। साथ ही सुरक्षा और बचाव के उपायों के बारे में बताया गया। कार्यशाला में छतरपुर से आई लाडकुंवर ने गीत के माध्यम से मैला ढ़ोने की प्रथा को बंद करने का संदेश दिया। गरिमा अभियान के जिला समन्वयक राजकुमार अहिरवार ने कार्यशाला के उद्देश्य की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि देश भर में मैला ढ़ोने की प्रथा पर रोक लगा दी गई है। ऐसे परिवारों को कुप्रथाओं से छुटकारा दिलाकर क्षमता वृद्धि के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिले की 300 महिलाओं ने मैला ढ़ोने की प्रथा बंद कर बकरी पालन, किराना दुकान, सिलाई कार्य सहित स्वरोजगार स्थापित कर रोजगार के साधन विकसित किए हैं। इसके लिए शासन की योजनाओं के तहत आर्थिक लाभ भी दिया जा रहा है। कार्यशाला में नशा मुक्ति का संकल्प दिया गया। साथ ही बाल विवाह, पर्दा प्रथा, जादू टोना, अंधविश्वास, धूम्रपान जैसे व्यवस्थाओं को समाप्त करने के बारे में जानकारी दी गई। इस अवसर पर अस्तौन सहित आसपास के कई गांवों की महिलाएं उपस्थित रहीं। लैंगिकउत्पीड़न समिति गठित करने के निर्देश छतरपुर: महिलाओंका कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के तहत 10 अथवा इससे अधिक संख्या वाले प्रत्येक शासकीय कार्यालयों में आंतरिक परिवाद समिति के गठन के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। कलेक्टर डाॅ. मसूद अख्तर ने किन्हीं कारणवश अब तक जिन कार्यालयों में समिति गठित नहीं हो पाई है, वहां नियमानुसार तत्काल समिति गठित करने के निर्देश कार्यालय प्रमुखों को दिए हैं।